सीएम ने दिल्ली में किया ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ आउटलेट का उद्घाटन, बोले उत्तराखंडी उत्पादों को मिलेगी पहचान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को नई दिल्ली में स्थित उत्तराखंड निवास परिसर में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के आउटलेट का उद्घाटन किया. सीएम ने कहा कि यह आउटलेट राष्ट्रीय राजधानी में उत्तराखंड की पारंपरिक विरासत और जैविक उत्पादों को संगठित रूप में प्रस्तुत करने का सशक्त माध्यम बनेगा. इसके जरिए न केवल राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति देश के सामने आएगी, बल्कि स्थानीय उत्पादों को भी नए बाजार मिलेंगे.

सीएम ने दिल्ली में किया ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ आउटलेट का उद्घाटन

सीएम ने कहा चारधाम यात्रा को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा स्थानीय उत्पादों की ब्रिकी को बढ़ावा देने के लिए 13 से अधिक प्रमुख स्थानों पर आकर्षक फ्लोर स्टैंडिंग यूनिट्स और रिटेल कार्ट्स नैनी सैनी एयरपोर्ट, पंतनगर एयरपोर्ट, देहरादून हेलीपैड, GMVN केदारनाथ, बद्रीनाथ, हर्षिल, गुप्तकाशी, कौडियाला, मसूरी, परमार्थ निकेतन (ऋषिकेश), स्नो क्रेस्ट (बद्रीनाथ), एटीआई (नैनीताल) एवं सेंट्रिया मॉल जैसे तीर्थ और पर्यटक स्थलों पर स्थापित किए गए हैं.

पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं रिटेल कार्ट्स

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा ये रिटेल कार्ट्स श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं. इसके अलावा मैरियट मसूरी, ताज देहरादून, एफआरआई व एलबीएसएनएए एवं राष्ट्रीय राजधानी स्थित दिल्ली हाट जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी रिटेल कार्ट्स की स्थापना प्रक्रिया प्रगति पर है. सीएम ने कहा यह पहल न केवल स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिला रही है.

सचिव ग्रामीण विकास राधिका झा ने बताया कि ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड ने कम समय में अपनी गुणवत्ता के बल पर विशेष पहचान बनाई है. इसके उत्पाद houseofhimalayas.com के साथ-साथ अमेज़न और ब्लिंकिट जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं. झा ने बताया अब यह ब्रांड प्रमुख होटल श्रृंखलाओं में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा हैं.

पीएम ने किया था ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड का उद्घाटन

बता दें ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड की अवधारणा को पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान प्रस्तुत किया गया था. इस ब्रांड के अंतर्गत उत्तराखंड के विशिष्ट उत्पाद जैसे बुरांश का शरबत, जंगली शहद, पहाड़ी दालें, पारंपरिक मसाले, हस्तनिर्मित वस्त्र एवं अन्य जैविक सामग्री अब एक सुव्यवस्थित रूप में देश के प्रमुख शहरों तक पहुंच सकेंगी

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